रात चाँदनी, भोर किरन तक
जगाता रहता कोहरा
शरद अब गुजर चुका
ठण्ड पुट छोड़ चुका
हेमंत ने आवाज लगाई
धरती ने ली अंगड़ाई
पत्ता - पत्ता सिहर उठा
परिंदा - परिंदा ठिठक उठा
शीतलता से निखर
खिलता रहता हर चेहरा
रात चांदनी भोर किरन तक
जगाता रहता कोहरा
क्रिसमस की शाम है आयी
संता क्लोज ने धूम मचाई
संक्रान्ती की सुबह सुहायी
शुभ मुहूर्तों की बेला लायी
बीत रहा यह सफल बरस
आ रहा साल सुनहरा
रात चांदनी , भोर किरन तक
जगाता रहता कोहरा
--अवनीश तिवारी
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