मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

कुहासे से घिरा दिनमान 06

मन कुहासे से घिरा दिनमान
खोता जा रहा पहचान

शून्य वन में राह भूले पथिक सी
लाचार मानवता
सभ्यता के मंच पर अध्यक्ष हित
तैयार दानवता
बुद्धिवादी सिर फिरा इन्सान
होता जा रहा पाषाण

साँझ सूने घाट पर बैठा हुआ
धीवर बना मानव
मछलियों को फाँसने को ढूँढता
तरकीब बन दानव
सिर्फ पाने के लिये सम्मान
खोता जा रहा ईमान

--गिरिमोहन गुरु

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