एक बार कह लेते प्रियतम
घना कुहासा
धुँआ-धुँआ सा
छँट जाता
घुप्प आसमां
बँधा-बँधा सा
कट जाता
कोरों पे ठहरी दो बूँदे
बह जाती चुपके से अंतिम
एक बार कह लेते प्रियतम
कहीं नहीं पर
कहीं जो बातें
मूक आभास
दो प्राणों के
गुँथे हवा में
कुछ निश्वास
अधरों पर कुछ काँपते से स्वर
भी पा जाते मुक्ति चिरतम
एक बार कह लेते प्रियतम
मौन स्वीकृति
बंद पलकों में
शर्माती
नये स्वप्न के
तानेबाने
सुलझाती
आशाओं के इंद्रधनुष से
रंग-बिरंग हो सज जाता तम
एक बार कह लेते प्रियतम
--मानोशी
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