३१- लो वसंत आ गया : अरविंद राज
मौसम के नाम लिखे,
तरुओं ने जब अपने
नवपत्र खोले,
कजरारी कोयलिया
उनको पढ़ बोले -
लो वसंत आ गया!
हंसदल कमलयुक्त
तालों की लहरों से
कर रहे किलोलें,
अभिगुंजन करते
भँवरे ख़ुश हो डोलें,
लो वसंत आ गया!
मलयज के संग-संग
महक रहे खेतों पर
पंछी पर तोलें,
फागुन के स्वागत में
ऋतु ने रंग घोले,
लो वसंत आ गया!
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अरविंद राज
शाहजहाँपुर (उ.प्र.)
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