शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

दिल हुआ बाग बाग : विमल कुमार हेडा 07

दिल हुआ बाग बाग : विमल कुमार हेडा

पिया देखो तो -
कैसा मौसम आया है?
दिल हुआ बाग बाग, मन भी हर्षाया है!

मन करता है -
कलियों संग झूमूं मैं,
फूलों की
मुस्कान को चूमूं मैं,
पर तितलियों ने मुझको बहकाया है!
पिया देखो तो------

मन करता है,
सरसों संग लहराऊँ मैं,
ओढ़ चुनरिया
पीली इठलाऊँ मैं,
पर पवन ने आँचल मेरा उड़ाया है,
पिया देखो तो -

मन करता है -
फागुन गीत सुनाऊँ मैं,
मधुर राग गा
तुझको रिझाऊँ मैं,
पर कोयल ने मेरा कंठ चुराया है,
पिया देखो तो -

मन करता है,
पंछी बन जाऊं मैं,
वन उपवन
उड़ान भर आऊं मैं,
पर पतंगों ने मुझको लुभाया है,
पिया देखो तो -

मन करता है,
बयार बन जाऊं मैं,
तितली संग
डोलूँ-लहराऊँ मैं,
पर भंवरों ने मुझको बहुत डराया है,
पिया देखो तो -

मन करता है -
सतरंगी बन जाऊं मैं,
तुझ संग फागुन
रंग रमाऊं मैं,
पर ऋतुराज बसंत ने मुझको रिझाया है,
पिया देखो तो -

मन करता है,
फूलवारी बन जाऊं मैं,
खुशबू से
जीवन महकाऊँ मैं,
पर तेरे प्यार ने पागल मुझको बनाया है,
पिया देखो तो -
--
विमल कुमार हेडा
रावतभाटा, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें