सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

तन में हिलोर उठे,मन में हिलोर उठे 07

तन में हिलोर उठे,मन में हिलोर उठे,
छाया ऐसा रंग प्यारा,नाच पोर-पोर उठे
मन की गली में बज रही शहनाई है,
आयी मेरे यार देख,ऐसी होली आयी है |

दिन के चढ़े ये मन मस्त हुआ है,
महकी हवा में देखो,क्या नशा छाया है,
शाम ढले लगे ये दुनिया सुहानी है,
सब के दिलों में ऐसा प्रेम पियारा है,
नदिया में दिल की ये रवानी आयी है,
आयी मेरे यार देख,ऐसी होली आयी है

छोड़ उदासी को ये तन-मन खुश है,
मस्त हुआ अब जीवन अपना,
फाग की फुहारें देखो,कैसी हैं छायी,
सच हो चला है अब हर इक सपना,
प्रीत की परंपरा में आयी तरुनाई है,
आयी मेरे यार देख,ऐसी होली आयी है

दिल में बसा लो उसे,जिस ने छुआ है मन,
भावना के रंग करो उस के अर्पण,
तन-मन जिस को मिले हैं कलियों के,
बन-बन फूल खिले हैं खुशियों के,
प्यास में मन की बड़ी गहराई है,
आयी मेरे यार देख ऐसी होली आयी है

फागुनी फुहारें आयीं फागुन महीने में
अब रंग आया कुछ अपने भी जीने में
मन की गली में चहुँ ओर फूल बिखरे
फाग के रंग में सपने भी निखरे
मन के गगन पे प्रेम घटा छाई है,
आयी मेरे यार देख,ऐसी होली आयी है
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डॉ. कुमार गणेश
जयपुर (राजस्थान)

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