शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

मधुबसंत की खिली यामिनी : शारदा मोंगा 07

मधुबसंत की खिली यामिनी
चुपके चुपके आ जाना
बासंती संसार बना है
तन मन पर तुम छा जाना
मेरे मन के वृन्दावन में
मुरली मधुर बजा जाना

कोकिल पंचम तान सुनाये
ऊंचे स्वर में विरहा गाए
यह कैसी अलसित मधुरिमा
तन मन पर ऐसी है छाये
मधुबसंत की बन चन्द्रिका
पिय मिलन की आस जगाये

नव नभ में छिटकी चन्द्रिका
लिए पलाश की नवल रक्तिमा
उपवन उपवन फूल पुष्पिका
हो सुवासित मधुर मधुरिमा
मेरे तन मन के मंदिर में
मधुर मधुर मुस्का जाना

यह कैसी अलसित मधुरिमा
तन मन पर ऐसी छाई
मेरे प्राण मंदिर में जैसे
बजे प्यार की शहनाई
मधुबसंत की बन चन्द्रिका
चुपके से तुम आ जाना

कलिके मधुघट से तुहिनकण
मधु पी भ्रमर मदमत्त हुआ
तुम भी प्रेम प्याला ला संग
कमल हस्त से पिला देना
मधु बसंत की खिली यामिनी
चुपके चुपके आ जाना

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शारदा मोंगा

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