शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

तुम भी एक निशाना साधो : शंभू शरण मंडल 08

रहोगे कब तक निशाने पर?
तुम भी एक निशाना साधो,
हावी हो न रावण, उसकी
नाभी पे बस बाण चला दो।

जल में, थल में और गगन में,
खेत, झोपड़ी, ताजमहल में,
साहस और बलिदान के बल पर,
टूट रहा विश्वास जगा दो।

छलनी हो न ताज, नरीमन,
दहले न मुंबई और लंदन,
दहशत है गर धूप जेठ की,
बरसो बनकर सावन-भादो।

मिट जाए मनहूस ठिकाने,
निकले बस निर्भीक तराने,
रंगोली की गोली बरसे,
एक ऐसी बंदूक बना दो।
--
शंभु शरण मंडल
धनबाद, झारखंड (भारत)

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