रविवार, 23 अक्तूबर 2011

कैसे कमल खिले : शास्त्री नित्यगोपाल कटारे 09

पानी बन्द हुआ बोतल में
पंक न कहीं मिले
कैसे कमल खिले

भूपालों के बन्धक हुए
सरोवर सारे
जलकुम्भी ने अपने
इतने पैर पसारे
आतंकित हो
हंस फिरें सब मारे मारे
सजे केकटस बाजारों में
सस्ते भाव मिले
कैसे कमल खिले

ढका हुआ है सत्य
घोर मिथ्या बादल से
क्षितिज हो गया काला
आतंकी काजल से
हार रहे यम नियम
कपट छलबल धनबल से
जब तक मैत्री सद् भावों का
सूर्य नहीं निकले
कैसे कमल खिले

कीचड़ में ही
बहुधा कमल खिला करते हैं
कहने भर को है
इसलिये कहा करते हैं
किन्तु कमल के लिये सभ्यजन
कीचड़ नहीं किया करते हैं
कमला हों या कमलनाथ हों
सबके होठ सिले
कैसे कमल खिले
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शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

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