रविवार, 23 अक्तूबर 2011

अमल होना था कमल : पं. गिरिमोहन गुरु 09

अमल होना था कमल
तव नाम

पंक से प्रकटित
मगर न मलिन मन
सुरभि से सम्पृक्त
कोमल मिला तन
प्रकृति का सबसे
बड़ा ईनाम

उपस्थिति से जगाया
लालित्य
धन्य है
पाकर तुझे
साहित्य
संस्कृति भी हो
रही अभिराम
--
पं. गिरिमोहन गुरु

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