सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

मेघ बजै, हवा चलै 10

मेघ बजै, हवा चलै
जियरा अगियार जलै

धनुष-गगन, बूँद-तीर
मन्मथ तन रहा चीर
मन होवै अति अधीर
पोर-पोर बढ़ै पीर
सन-सन पछियाँव बहै
बिरही मन आज दहै
सूरज ज्यों गले मिलै

अमवा झुकि झूमि-झूमि
महुआ मुख रहा चूमि
भीग रहे पात-पात
पुलकित हैं उभय गात
झर-झर-झर प्रेम झरै
चरर-मरर जिया करै
देखि-देखि बाँस जरै
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धर्मेन्द्र कुमार सिंह "सज्जन"

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