बहुत हुई बारिश, बहुत हुआ पानी
खत्म करो बादल जी, अब ये कहानी
धँस रही हैं सड़के
दरके पहाड़
हरियाये खेतों में
आ गई है बाढ़
इंद्रदेव वापस लें, ऐसी मेहरबानी
खत्म करो बादल जी, अब ये कहानी
बंद हुए बच्चों के
सारे स्कूल
कैद हो घरों में
खेल गए भूल
जल से है त्रस्त अब, हर एक प्राणी
खत्म करो बादल जी, अब ये कहानी
कवियों को प्यारा है
पावस का मास
किन्तु अतिवॄष्टि ने
छीना उल्लास
मेघ बजें, पर न आयें बरखा महारानी
खत्म करो बादल जी, अब ये कहानी
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सिद्धेश्वर सिंह
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