टप्-टप्-टप् बूँद गिरे
अंतस में हूक उठे
मेघ बजे
आमों की बगिया मॆं
मस्ती बौराई है
बरसेंगे गरज-गरज
सूचना यह आई है
मत बरसो, मत बरसो
कौन कहे
झरनों की हर-हर पर
रीझ-रीझ जाता मन
गुन-गुन करते हँसते
हरे-हरे वन-उपवन
सर-सर-सर चले पवन
विटप हिले
सावन की रातों में
सजना बिन घर सूना
दिवस ढोए काँधों पर
रातों का दुख दूना
मन के दीपक लगते
बुझे-बुझे
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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
१२ - शिवम् सुंदरम् नगर, छिंदवाड़ा (म.प्र.)
इस ब्लाग पर लिया धन्यव
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