कीटनाशकों से जो पलकर
आई ताज़ी सब्जी
अनजाने ही उसको अम्मा
रही प्रेम से राँध
कूड़ा-कचरा भरे 'प्लॉट' में
बूँदें करतीं नर्तन
बीमारी के अणुओंवाली
पायल पग में बाँध
नर्तन के इस मधुर गान से
उठने लगी सड़ाँध
नाली के गंदे पानी में
अब बूँदों का क्रंदन
घर में घुसकर आ जाता है
घर की देहरी फाँद
घर का कोना-कोना सिसके
बनकर दुख की नाँद
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रचनाकार ने नाम नहीं लिखा
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