रविवार, 23 अक्तूबर 2011

मेघ बरसो रे : कमलेशकुमार दीवान 10

मेघ बरसो रे
प्यासे देश
वहाँ सब रीत गए
ताल-तलैया-नदियाँ सूखीं
रीता हिया का नेह
मेघ बरसो रे
पिया के देश
वहाँ सब बीत गए

कुम्हलाए हैं
कमल-कुमुदनी
घास-पात और देह
उड़-उड़ टेर लगाए पपीहा
होते गए विदेह
मेघ हर्षो रे
प्यासे देश
यहाँ सब रीत गए
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कमलेशकुमार दीवान

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