नवगीत- २०१०-२०११
नवगीत की पाठशाला
रविवार, 23 अक्तूबर 2011
महका-महका- 11
मेहंदी-सुर्खी
काजल लिखना
महका-महका
आँचल लिखना!
धूप-धूप
रिश्तों के
जंगल
ख़त्म नहीं
होते हैं
मरुथल
जलते मन पर
बादल लिखना!
इंतज़ार के
बिखरे
काँटे
काँटे नहीं
कटे
सन्नाटे
वंशी लिखना
मादल लिखना!
--
डॉ. हरीश निगम
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