रविवार, 23 अक्तूबर 2011

मन में फिर आनंद समाया 11

तुम आए तो जीवन आया
मन में फिर आनंद समाया

गीत रचाया हमने पूरा
लेकिन लगता हमें अधूरा
तुम आए तो सावन आया
शब्दों में फिर बंद समाया
मन में फिर आनंद समाया

मन की क्यारी महक रही थी
साँस हमारी चहक रही थी
आकर तुमने गले लगाया
सुंदर सुर में छंद सुनाया
मन में फिर आनंद समाया
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डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक
टनकपुर रोड, खटीमा
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - २६२३०८

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