रविवार, 23 अक्तूबर 2011

मेरे देश में हर दिन त्‍योहार 11

दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता जाए प्‍यार
मेरे देश में हर दिन त्‍योहार

महक उठा मन सौंधी खु़शबू जो लाई पुरवाई
धानी चूनर पहन खेत की हर बाली मुसकाई
डाली-डाली फूल खिले मौसम ने ली अँगड़ाई
गली मोहल्‍ले घर-घर में खुशियों की बँटी मिठाई
झूम-झूमकर नाचो आओ
गाओ मेघ मल्‍हार
मेरे देश में हर दिन त्‍योहार

आता है हर साल दशहरा, टिक्का, ईद, दिवाली
क्‍वार करे कातिक का स्‍वागत सरदी देव-दिवाली
पौष बड़ा, मावठ फुहार होली में मीठी गाली
ढोल, नगाड़े, चंग, मजीरा, ढफ, अलगोजा, ताली
घूम-घूमकर रँगो-रँगाओ,
गाओ ध्रुपद धमार
मेरे देश में हर दिन त्‍योहार

आगे-पीछे दौड़े आते पर्व, मनोरथ सारे
दु:ख-हल्‍के करते संस्‍कृति के ये हैं अजब सहारे
सर्वधर्म-समभाव अतिथि देवो भव से हर नारे
सत्‍यमेव जयते वसुधैव कुटुंबकम् के गुण न्‍यारे
भूम-भूम गोपाल सजाओ
गाओ बसंत बहार
मेरे देश में हर दिन त्‍योहार
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आकुल
कोटा (राजस्थान)

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