सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

नया पृष्ठ फिर आज खुल रहा 12

महाकाल के महाग्रंथ का
नया पृष्ठ फिर आज खुल रहा


वह काटोगे,
जो बोया है.
वह पाओगे,
जो खोया है
सत्य-असत, शुभ-अशुभ तुला पर
कर्म-मर्म सब आज तुल रहा


खुद अपना
मूल्यांकन कर लो
निज मन का
छायांकन कर लो
तम-उजास को जोड़ सके जो
कहीं बनाया कोई पुल रहा?


तुमने कितने
बाग़ लगाये?
श्रम-सीकर
कब-कहाँ बहाए?
स्नेह-सलिल कब सींचा?
बगिया में आभारी कौन गुल रहा?


स्नेह-साधना करी
'सलिल' कब
दीन-हीन में
दिखे कभी रब?
चित्रगुप्त की कर्म-तुला पर
खरा कौन सा कर्म तुल रहा?


खाली हाथ
न रो-पछताओ
कंकर से
शंकर बन जाओ
ज़हर पियो, हँस अमृत बाँटो
देखोगे मन मलिन धुल रहा

-- आचार्य संजीव सलिल

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