नव पल
नव उमंग दिल में
मन खुशियों से भर जायेगा
आने वाला ये साल नया
संग देखो
क्या क्या लायेगा
गुमनाम
डरी कुछ आवाजें
जो डर से बोल नहीं पायी
अन्याय से लडकर थककर जो
मजबूत भुजाऐं
शिथिलायीं
शायद ये
नया साल आकर
फिर से साहस भर जायेगा
स्मृतियों के
पन्नों पर बस
छपा रहा ये साल पुराना
भरी भीड़ मे कौन अकेला
ये सवाल जाना
पहचाना
उम्मीदों के झुरमुट में
एक प्यारा झोंका आयेगा
कुछ खोया
और कुछ खोकर भी
सहमी आँखें चुपचाप रहीं
जाने वाले कुछ पथिकों की
अब भी हैं बाट
निहार रहीं
शायद नव पल आने वाला
उनको भी संग ले आयेगा
--अभय कुमार यादव
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