सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

नया वर्ष लेकर आया है 12

नया वर्ष लेकर आया है
सुंदर नवल प्रभात
आशाओं के पंख उगे हैं
सपनों की बारात

कलरव करती सोन चिरैया
फूल करें अठखेली
रंगों का संसार खिला है
पुरवैया अलबेली
घूँघट पट से नयन झाँकते
बिखराएँ पारिजात

धूप थिरकती तितली जैसी
झुरमुट शरमाया जाता है
भौंरे बाँटें परिणय पाती
सौरभ रस छलका जाता है
अंबर भी सौ-सौ हाथों से
भेजे शुभ सौग़ात

काट निराशा का अंधियारा
नया एक संसार बसाएँ
हिंसा घृणा द्वेष भय त्यागें
स्नेह प्यार का दीप जलाएँ
सबके घर आँगन में बरसे
खुशियों की बरसात

--गिरीशचंद्र श्रीवास्तव

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