सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

आप हम सब खुश रहें 12

आप हम सब खुश रहें!

खेत खलिहानों में
पैदावार हो
हसरतों का ना कहीं
व्यापार हो
बाल बच्चों को मिले
शिक्षा अमित
बहन बेटी घूम पाएँ
भय रहित
हो तरक्की
और
नदियाँ भी बहें
आप हम सब खुश रहें।

गैर की दहलीज पर
जब जाएँ हम
मोल इज़्ज़त का
न दे के आएँ हम
बाँह फैला के
सभी को स्थान दें
साथ ही सरहद पे भी
हम ध्यान दें
ताकि भावी पीढ़ियाँ
सब सुख लहें
आप हम सब खुश रहें।

हम रहें खुश
इस तरह कुछ
इस बरस
विश्व को
आए न हम तुम पे
तरस
हम भी हैं कुछ
विश्व को
बतलाएँ हम
कंधे से कंधा मिला
बतियाएँ हम
देख तन गोरा
न स्तर से ढहें
आप हम सब खुश रहें।

नवीन चतुर्वेदी
मुंबई

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