सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

हो मंगलमय यह वर्ष 12

उम्मीद नई
उत्कर्ष नया
हो मंगलमय
यह वर्ष नया

जब जब हम
तुमसे यार मिले
महसूस हो
पहली बार मिले
सांसो में
सरगम की लहरें
चाहत में
हो स्पर्श नया

अब द्वेष का लेश
न दिल में हो
दहशत न किसी
महफिल में हो
हर सांझ
अमन से हो रौशन
हर प्रात
लुटाए हर्ष नया

हर पल
संबल मुस्कान रहे
जिंदा हर इक
अरमान रहे
मंजिल की तरफ
एक और कदम
सपनों के लिए
संघर्ष नया

जो डाल
शजर से बिछड़ गए
जो फूल खिले बिन
बिखर गए
एक बार
उन्हें फिर संजोएं
इसबार यही
विमर्श नया

जाति मजहब
के खोल न हो
बदनाम
हमारे बोल न हो
हर ओर फले
भाईचारा
हम सबका
हो आदर्श नया

शंभु शरण मंडल

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