मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

होते सारे काम सड़क पर 13

नामी या बेनाम सड़क पर
होते सारे काम सड़क पर

जब देश लूटता राजा
कोई करे
कहाँ शिकायत,
संसद में बैठे दागी
एकजुट हो
करें हिमायत
बेहयाई नहीं टूटती,
रोज़ उठें तूफ़ान सड़क पर।

दूरदर्शनी बने हुए
इस दौर के
भोण्डे तुक्कड़,
सरस्वती के सब बेटे
हैं घूमते
बनकर फक्कड़
अपमान का गरल पी रहा
ग़ालिब का दीवान सड़क पर ।

खेत छिने, खलिहान लुटे
बिका घर भी
कंगाल हुए,
रोटी, कपड़ा, मन का चैन
लूटें बाज,
बदहाल हुए
फ़सलों पर बन रहे भवन
किसान लहूलुहान सड़क पर।

मैली चादर रिश्तों की
धुलती नहीं
सूखा पानी,
दम घुटकर विश्वास मरा
कसम-सूली
चढ़ी जवानी;
उम्र बीतने पर दिया है

-रामेश्वर कांबोज हिमांशु

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें