सड़क-मार्ग सा फैला जीवन
कभी मुखर है, कभी मौन है।
कभी बताता, कभी पूछता,
पंथ कौन है? पथिक कौन है?
स्वच्छ कभी-
है मैला जीवन...
*
कभी माँगता, कभी बाँटता।
पकड़-छुडाता गिरा-उठाता।
सुख में, दुःख में साथ निभाता-
बिन सिलाई का
थैला जीवन...
*
वेणु श्वास, राधिका आस है।
कहीं तृप्ति है, कहीं प्यास है।
लिये त्रास भी 'सलिल' हास है-
तन मजनू,
मन लैला जीवन...
*
बहा पसीना, भूखा सोये।
जग को हँसा , स्वयं छुप रोये।
नित सपनों की फसलें बोए।
पनघट, बाखर,
बैला जीवन...
*
यही खुदा है, यह बन्दा है।
अनसुलझा गोरखधंधा है।
आज तेज है, कल मंदा है-
राजमार्ग है,
गैला जीवन-
*
काँटे देख नींद से जागे।
हूटर सुने,छोड़ जां भागे।
जितना पायी ज्यादा माँगे-
रोजी का है
छैला जीवन...
-संजीव सलिल
कभी मुखर है, कभी मौन है।
कभी बताता, कभी पूछता,
पंथ कौन है? पथिक कौन है?
स्वच्छ कभी-
है मैला जीवन...
*
कभी माँगता, कभी बाँटता।
पकड़-छुडाता गिरा-उठाता।
सुख में, दुःख में साथ निभाता-
बिन सिलाई का
थैला जीवन...
*
वेणु श्वास, राधिका आस है।
कहीं तृप्ति है, कहीं प्यास है।
लिये त्रास भी 'सलिल' हास है-
तन मजनू,
मन लैला जीवन...
*
बहा पसीना, भूखा सोये।
जग को हँसा , स्वयं छुप रोये।
नित सपनों की फसलें बोए।
पनघट, बाखर,
बैला जीवन...
*
यही खुदा है, यह बन्दा है।
अनसुलझा गोरखधंधा है।
आज तेज है, कल मंदा है-
राजमार्ग है,
गैला जीवन-
*
काँटे देख नींद से जागे।
हूटर सुने,छोड़ जां भागे।
जितना पायी ज्यादा माँगे-
रोजी का है
छैला जीवन...
-संजीव सलिल
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