सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

सड़कों पर 13

कृष्णकाय सड़कों पर
सभ्यता चली है

यौवन-जरा में अनबन
भगवा-हरा लड़े हैं
छोटे सड़क से उतरें
यह चाहते बड़े हैं
गति को गले लगाकर
नफरत यहाँ फली है

है भागती अमीरी
सड़कों के मध्य जाकर
है तड़पती गरीबी
पहियों के नीचे आकर
काली इसी लहू से
हर सड़क हर गली है

ओ शंख चक्र धारी
अब तो उतर धरा पर
सब काले रास्तों को
इक बार फिर हरा कर
कब से समय के दिल में
ये लालसा पली है

--धर्मेन्द्र कुमार सिंह

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