सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

होली है होली 14

रंग की फुहार में,
फ़ागुनी बयार में
बच्चे जवान बूढ़े कर रहे ठिठोली
मानिए न आज बुरा, होली है होली

छटा में गुलाल-रंग
भिगो रहे अंग-अंग
गीत गा लुभाय रही मस्तों की टोली
मानिए न आज बुरा, होली है होली

आज न कोई दूर है
प्यार भरपूर है
रिश्तों में है मिठास गुझिया ने घोली
मानिए न आज बुरा, होली है होली


भूल राग और द्वेष
भूल देश और भेष
सबका मन मोह रही कोयल की बोली
मानिए न आज बुरा, होली है होली

- हितेश शर्मा 'पथिक'

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