सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

समाचार हैं 15

अद्भुत उपवन के

अब बर्बादी
करे मुनादी
संसाधन सीमित
सड़ जाने दो
किंतु करेगा
बंदर ही वितरित

नियम अनूठे हैं
मानव-वन के

प्रेम-रोग अब
लाइलाज
किंचित भी नहीं रहा
नई दवा ने
आगे बढ़कर
सबका दर्द सहा

पल-पल बदल रहे रंग
तन मन के

नौकर धन की
निज इच्छा से
अब है बुद्धि बनी
कर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी

बदल रहे हैं
स्वप्न लड़कपन के

-धर्मेन्द्र कुमार सिंह
(बरमाना, बिलासपुर)

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