सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

किससे अब क्या कहे सुलेखा ! 15

खनन माफ़िया
मिलकर लूटें
जल औ' जंगल
नित-नित टूटें
मेट रहे
कुदरत का लेखा !

बोली 'छविया'
धरा-दबोचा
नेता-मालिक
सबने नोंचा
समाचार
यह सबने देखा !

दुस्साहस-
क्रशरों का बढ़ता
चट्टानों से
चूना झड़ता
टूट रही
है जीवन रेखा !

अवनीश सिंह चौहान
(मुरादाबाद)

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