सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

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अब तक
का यह समाचार है
आने वाला कल उधार है

ख़त्म
हो गई संचित पूँजी
घर में बाकी भाँग न भूँजी
पापा को कह कर के मूज़ी
लड़का बाइक पर
सवार है

बेटी
बड़ी हो गई कैसे
लिप्टस के बिरवा की जैसे
रहे जोड़ते पैसे - पैसे
लाखों में वर की
पुकार है

जीवन
में आ गई सुनामी
जकड़ गई है नई ग़ुलामी
घर के ज़ेवर की नीलामी
करता, टीवी का
प्रचार है

चौराहे
पर चर्चा है जी
किसका कितना खर्चा है जी
सबने बाँटा पर्चा है जी
लोकतंत्र का
चमत्कार है

सब
अपने में व्यस्त हुये हैं
किसी नशे में मस्त हुये हैं
सत्ता के विश्वस्त हुये हैं
सूनी वीरों की
मज़ार है

-अमित
( इलाहाबाद )

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