उठापटक के खेले चलते
हुआ अखाड़ा सभागार है
यही आज का समाचार है
दिन विपदा के परजा भुगते
शाहों के घर बजें बधावे
रामराज घर-घर व्यापेगा-
रहे खोखले उनके दावे
टका सेर के खाजे का
परजा को अब भी इंतज़ार है
यही आज का समाचार है
ठूँठ-हुए पीपल पर बैठी
गौरइया के पंख जले हैं
खबर सुर्ख़ियों में है आई-
बड़के राजा बड़े भले हैं
उनके पाले गीधों ने
उत्पात मचाया द्वार-द्वार है
यही आज का समाचार है
नौटंकी में लँगड़ी नटिनी
राज्यलक्ष्मी बनी रात कल
कोख धरा की सूनी-बंजर
फटा हुआ है माँ का आँचल
इन्द्रप्रस्थ की अप्सराओं के
चेहरों पर अद्भुत निखार है
यही आज का समाचार है
-कुमार रवीन्द्र
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