सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

अखबारों में समाचार है 15

अखबारों में समाचार है
उल्लू बैठा डार-डार है

देश दिखाई देता दुखिया
लूट सके जो वो है सुखिया
लाचारी में शीश झुकाए
गुमसुम दिखे मुल्क का मुखिया

चुने हुए राजा-रानी से
प्रजातंत्र ही शर्मसार है

एक समय था गुल्ली-डंडा
खेल बना अब चोखा धंधा
रहो खेलते मनमानी से
जब तक गले पड़े न फंदा

राजनीति के खिलाड़ियों से
खेल स्वयं ही गया हार है

विकीलीक्स का नया खुलासा
सुनकर होती बड़ी निराशा
चौसर भले बिछी हो अपनी
पश्चिम फेंक रहा है पासा

शायद इसीलिए दिखती अब
लोकतंत्र की मुड़ी धार है

- ओमप्रकाश तिवारी
(मुंबई)

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