सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

समाचार है 15

समाचार है
अच्छा मौसम आने वाला है
समाचार है
फिर से होने लगा उजाला है


धुप चटकती, इतराती है
छाँव थकी है, सुस्ताती है
तारकोल की महक उडी है
फुलमतिया भी वहीँ खड़ी है
सड़क किनारे
साडी वाला पलना डाला है


दौड़े खूब कचूमर निकला
दफ्तर दफ्तर भागे अगला
चाय पकौड़े दाना, पानी,
टेबल, कुर्सी सब मनमानी
खड़ा द्वार पर
जैसे कोई फेरी वाला है


फिर से छीने गए निवाले
सब के सब थे तकने वाले
आस उगी है ये बेहतर है
शायद उसका मन पत्थर है
या फिर वह
बाहर से गोरा भीतर काला है

-राणा प्रताप सिंह
जम्मू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें