सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

चितवन फूल पलाश 16

हँसी तुम्हारी चंदा जैसी,
चितवन फूल पलाश
बातें झरना यथा ओसकण
तारों भरा उजास

गुन-गुन
भौंरों जैसे गाना,
और शरारत से मुस्काना
हौले-से,
ही हमें चिढ़ाना
वादा कर फिर हाथ न आना
चमकाती लेकिन फिर भी हो
एक किरन की आस


जो भी
दिन है साथ बिताए,
जस फूलों की घाटी घर
नोंक-झोंक
विस्मृति-स्मृति में,
एक क्षीरमय सुन्दर सर
मिलना तुम से तीरथ जैसा,
भूला - बिसरा रास

- क्षेत्रपाल शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें