मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

जगमग जोत जले 18

मन हो रहा प्रफुल्लित
घर में
जगमग जोत जले

आनंदित किलकारी भरती
नव संचित फुलझड़ियों सी
श्याम रात
चम चम करती है
उत्सव वाली लड़ियों सी
स्वप्न सजीले संचित
सुख समृद्धि की ओर चले

सुन्दर शाश्वत हो शृंगार
पूजा की फिर थाल संवार
राम राम नाम
की धुन को रटते
सारी विपदाएँ हों पार
लक्ष्मी चरण हों अंकित
जग से भय ओर क्रोध टले !

-नूतन व्यास
(गुड़गाँव)

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