तुम मुस्काईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
लगे दिहाड़ी पर हम
जैसे कितने ही मजदूर
गीत रच रहे मिलन-विरह के
आँखें रहते सूर
नयन नयन से मिले झुके
उठ मिले मिट गया गम
तुम शर्माईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
देखे फिर दिखलाये
एक दूजे को सपन सलोने
बिना तुम्हारे छुए लग रहे
हर पकवान अलोने
स्वेद-सिंधु में नहा लगी
हर नेह-नर्मदा नम
तुम अकुलाईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
कंडे थाप हाथ गुबरीले
सुना रहे थे फगुआ
नयन नशीले दीपित
मना रहे दीवाली अगुआ
गाल गुलाबी 'वैलेंटाइनडे'
की गाते सरगम
तुम भर्माईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
- संजीव 'सलिल'
(जबलपुर)
उस पल उत्सव का मौसम
लगे दिहाड़ी पर हम
जैसे कितने ही मजदूर
गीत रच रहे मिलन-विरह के
आँखें रहते सूर
नयन नयन से मिले झुके
उठ मिले मिट गया गम
तुम शर्माईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
देखे फिर दिखलाये
एक दूजे को सपन सलोने
बिना तुम्हारे छुए लग रहे
हर पकवान अलोने
स्वेद-सिंधु में नहा लगी
हर नेह-नर्मदा नम
तुम अकुलाईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
कंडे थाप हाथ गुबरीले
सुना रहे थे फगुआ
नयन नशीले दीपित
मना रहे दीवाली अगुआ
गाल गुलाबी 'वैलेंटाइनडे'
की गाते सरगम
तुम भर्माईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम
- संजीव 'सलिल'
(जबलपुर)
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