मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

तुम मुस्काईं जिस पल 18

तुम मुस्काईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम

लगे दिहाड़ी पर हम
जैसे कितने ही मजदूर
गीत रच रहे मिलन-विरह के
आँखें रहते सूर
नयन नयन से मिले झुके
उठ मिले मिट गया गम
तुम शर्माईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम

देखे फिर दिखलाये
एक दूजे को सपन सलोने
बिना तुम्हारे छुए लग रहे
हर पकवान अलोने
स्वेद-सिंधु में नहा लगी
हर नेह-नर्मदा नम
तुम अकुलाईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम

कंडे थाप हाथ गुबरीले
सुना रहे थे फगुआ
नयन नशीले दीपित
मना रहे दीवाली अगुआ
गाल गुलाबी 'वैलेंटाइनडे'
की गाते सरगम
तुम भर्माईं जिस पल
उस पल उत्सव का मौसम

- संजीव 'सलिल'
(जबलपुर)

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