मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

फूल फूल झरती फुलझड़ियाँ 18

फूल फूल झरतीं फुलझड़ियाँ
मन हो रहा मगन

अगरु धूम्र
अरु मधुरिम गीत
हर मुख पर सुख का नवनीत
सजे सजाए
घर आँगन में
दीपों की हैं झिलमिल लड़ियाँ
खिल खिल है आँगन

उत्सव छाया
है चहुँ ओर
आज धरा पर उतरी भोर
मेल जोल में
बाँध रही हैं
दीपावलि की मंगल कड़ियाँ
आनंदित जनमन

-मुक्ता पाठक

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