शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

फागुन रीता जाए ना : पूनम श्रीवास्तव

सुबह बसंती साँझ फागुनी
मौसम भीना भीना सा
इंतजार में तेरे साजन
फागुन रीता जाए ना

ऋतु बदली मलयानिल आई
सुबह शाम छाई तरुणाई
तेरे बिना एक पल भी अब
मेरे जी को भाए ना

संग सहेली इतराती हैं
मंद मंद होली गाती हैं
हँसी ठिठोली उनकी निसदिन
जबरन जिया जलाए ना

फगुनाहट की मधुर फुहारें
तन-मन पर कठिनाई वारें
भँवरा गुन गुन गुंजारों से
मन में तीर चुभाए ना।

--
पूनम श्रीवास्तव

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें