सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

आई होली 14

आई होली
धूम मचाओ सा रा रा रा...

होरी की
झुग्गी में चूल्हा
रहे न सूना
अलगू-जुम्मन
दूर न हों तो
हो सुख दूना
जनप्रतिनिधि भी
सहे वेदना
नेता को
इंसान बनाओ सा रा रा रा...

बनें न हम
बाजार महज़
ना माल बिकाऊ
भौजी की
फागों से हों
रसभरे टिकाऊ
पर्व व्यवस्था
स्वस्थ, सेंतना
रंग-अबीर संग
भेद भुलाओ सा रा रा रा...

-आचार्य संजीव 'सलिल'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें