मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

हिम नदी में कूदकर 06

हिम नदी में कूदकर मौसम
इन दिनों ज्यों स्नान करता है

हर तरफ है एक कुहरा आवरण
आग ने भी शान्ति सी कर ली वरण
सूर्य खुद मफलर गले में बाँध
शीत का ऐलान करता है

हिम नदी में कूदकर मौसम
इन दिनों ज्यों स्नान करता है

शाम होते ही जगे सोये सपन
ढूँढते हैं शयन शैया में तपन
एक कोने में दुबक दीपक निबल
शीत का गुणगान करता है

हिम नदी में कूदकर मौसम
इन दिनों ज्यों स्नान करता है

--गिरिमोहन गुरु

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