है समय का फेरा,
आतंक ने है घेरा।
चोरी धमार, है बेशुमार,
दुराचार और अत्याचार,
असहाय जनता है लाचार,
छल कपट का डेरा।
सिलसिला बम्ब धमाकों का,
अपहरण और विस्फोटों का,
खून के प्यासे, बहशी दरिंदे ,
स्वार्थी दुश्मन, विषैले फंदे ,
आतंकी साया चहुँ ओर छाया,
लगाया खौफ ने डेरा।
उठ जाग युवक, रणभेरी बजा,
कर दृढ़ संकल्प , पकड़ खडग,
वीरों का कर्तव्य यही ,
पहन क्रान्ति का चोला,
आतंक हो समूल नष्ट,
मिटे आतंकी घेरा।
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शारदा मोंगा 'एरोमा'
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