मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

शरद परी आई 18

सागर तट पर खेली
किरनो से अठखेली
नदिया के तीर गयी
ताल में नहाई


खिले सब तरफ गुलाब
गमक उठी नयी आब
नाच उठे जीव सभी
तितली मुस्काई

बिखर गया नया रंग
बजा कहीं जलतरंग
धरती के आँगन पर
उत्सव सी छाई

- डॉ. भारतेंदु मिश्र
(नई दिल्ली)

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