शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

शरद परी आई-डॉ. भारतेंदु मिश्र

शरद परी आई




सागर तट पर खेली

किरनो से अठखेली

नदिया के तीर गयी

ताल में नहाई




खिले सब तरफ गुलाब

गमक उठी नयी आब

नाच उठे जीव सभी

तितली मुस्काई




बिखर गया नया रंग

बजा कहीं जलतरंग

धरती के आँगन पर

उत्सव सी छाई




- डॉ. भारतेंदु मिश्र

(नई दिल्ली)

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