शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

सखी बसंत आया : मानसी 07

सखी बसंत आया

कोयल की कूक तान
व्याकुल से हुए प्राण
बैरन भई नींद आज
साजन संग भाया
सखी बसंत आया

लागी प्रीत अंग-अंग
टेसू फूले लाल रंग
बिखरी महुआ की गंध
हवा में मद छाया
सखी बसंत आया

पाँव थिरके देह डोले
सरसों की बाली झूमे
धवल धूप आज छिटके
जगत सोन नहाया
सखी बसंत आया

अमुवा की डारी डारी
पवन संग खेल हारी
उड़े गुलाल रंग मारी
सुख आनंद लाया
सखी बसंत आया

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मानसी

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