शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

बसंत आ गया : महेन्द्र भटनागर 07

अंग-अंग में उमंग आज तो पिया,
बसंत आ गया!

दूर खेत मुसकरा रहे हरे-हरे,
डोलती बयार नव-सुगंध को धरे,
गा रहे विहग नवीन भावना भरे,
प्राण! आज तो विशुद्ध भाव प्यार का
हृदय समा गया!

अंग-अंग में उमंग आज तो पिया,
बसंत आ गया!

खिल गया अनेक फूल-पात से चमन,
झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन,
यह लजा रही उषा कि पर्व है मिलन,
आ गया समय बहार का, विहार का
नया नया नया!

अंग-अंग में उमंग आज तो पिया,
बसंत आ गया!

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महेन्द्र भटनागर

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