रविवार, 23 अक्तूबर 2011

फूला फूल कमल का : रावेंद्रकुमार रवि 09

मधुर फुहारों ने कुछ
गाकर हमें सुनाया!
फूला फूल कमल का
मन में ख़ुशियाँ लाया!

तालाबों में कमल-कुंज हैं
कमल-कुंज में
है अलि-गुंजन!
बरखा के मौसम में
गाँव-गाँव हरियाया!
फूला फूल ... ... .

बरखा की बूँदों ने छेड़े
साज़ नए कुछ
हौले-हौले!
मुरझाए खेतों को
सुरमय कर सरसाया!
फूला फूल ... ... .

मस्ती-भरी हवा चलती है
मधु सौरभ की
ओढ़ उढ़निया!
वसुधा के आँचल को
मह-महकर महकाया!
फूला फूल ... ... .
--
रावेंद्रकुमार रवि

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