रविवार, 23 अक्तूबर 2011

भाभी के कानों में 11

भाभी के कानों में
झूम रही बालियाँ!
दीपों से भरी-भरी
थिरक रहीं थालियाँ!

भाभी मुंडेरों पर
दीपक सजाती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!

भइया ने लाकर के
दीं मुझको फुलझड़ियाँ!
चहक उठीं ओंठों पर
मुस्कानों की लड़ियाँ!

भाभी भी झूम-झूम
गीत गुनगुनाती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!

भाभी की आँखों में
सुंदर-सा सपना है!
मन के कोने में भी
प्रेम-दीप "सजना" है !

भाभी की सपनीली
आँखियाँ मुस्काती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!
--
रावेंद्रकुमार रवि

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