सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

नूतन वर्ष मनाएँ 12

जनमन दुखित अर्थ पीड़ित है
जग में आज शांति शापित है
छिन्न भिन्न संकल्प हो रहे
भूले सारे गीत अनकहे
अब क्या अपनी व्यथा सुनाएँ
कैसे नूतन वर्ष मनाएँ

देख रहा अब मैं परिवर्तन
नभ में हुआ ये कैसा गर्जन
ज्योतिर्माया जगमग आँगन
फिर से नई आस जागी है
चलो पुनः हम शक्ति लगाएँ
फिर से नूतन वर्ष मनाएँ

करें प्रतिज्ञा हम न डरेंगे
मिलकर नवयुग सृजन करेंगे
शंख बजाकर नए साल का
चलो शहीदों को मुंबई के
सब मिल श्रद्धा सुमन चढ़ाएँ
आओ नूतन वर्ष मनाएँ

प्रो. देवेन्द्र मिश्र

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