राजा के
घर में है
हर दिन त्योहार, बंधु
सुनें समाचार, बंधु
विपदाएँ सारी ही
परजा के भाग बदीं
राजा का दोष नहीं
नदियाँ हैं कीच-लदीं
चढ़ा प्रजा के
सिर पर
कर्ज़े का भार, बंधु
सुनें समाचार, बंधु
रामराज रहा सिर्फ
पुरखों के किस्से में
आया वनवास सदा
सीता के हिस्से में
लक्ष्मण जा बसे
-खबर -हैं
सागर-पार, बंधु
सुनें समाचार, बंधु
शहज़ादा चतुर बड़ा
गली-गाँव घूम रहा
सबके घर भरें-पुरें
उसने हर जगह कहा
जहाँ गया
वहीं सभी
उजड़े घर-बार, बंधु
सुनें समाचार, बंधु
--कुमार रवीन्द्र
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