नवगीत- २०१०-२०११
नवगीत की पाठशाला
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011
शरद परी आई 18
सागर तट पर खेली
किरनो से अठखेली
नदिया के तीर गयी
ताल में नहाई
खिले सब तरफ गुलाब
गमक उठी नयी आब
नाच उठे जीव सभी
तितली मुस्काई
बिखर गया नया रंग
बजा कहीं जलतरंग
धरती के आँगन पर
उत्सव सी छाई
- डॉ. भारतेंदु मिश्र
(नई दिल्ली)
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